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यदि आपने ChatGPT जैसे चैटबॉट के बारे में सुना है या उसका इस्तेमाल किया है तो आप सैम ऑल्टमन नाम से जरूर परिचित होंगे। यदि आप इस नाम को पहली बार सुन रहे हैं तो आपको बता दें की टेक्नोलॉजी की दुनिया में फिलहाल इसी नाम का, मतलब इसी व्यक्ति का बोलबाला है। सैम ऑल्टमन OpenAi नाम के ओर्गेनाईजेशन या कंपनी कह लीजिये, उसके चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर यानि CEO हैं।
7 जून 2023 को दिल्ली में आयोजित एक समिट में उन्होंने ने कुछ ऐसा कह दिया था जिस कारण से एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था और भारतीय बिज़नस जगत के कुछ बड़े नाम सैम ऑल्ट मन के स्टेटमेंट को एक चैलेंज की तरह देखने लगे थे। सैम ऑल्टमन तब भारत की यात्रा पर आये हुए थे और प्रधान मंत्री मोदी से भी मिले थे।
असल में हुआ ये था की सैम ऑल्टमन से एक सवाल किया गया था। एक भारतीय बिजनेसमैन ने उनसे पुछा था की क्या भारत के कुछ युवा इंजीनियर ChatGPT या OpenAI जैसा कुछ बनाना चाहें और उन्हें इसके लिए जरूरी फंडिंग भी दी जाए तो क्या वे ऐसा कुछ बना सकते हैं।
सैम ऑल्टमन ने एक दम साफ़ और सीधे लहज़े में यह जवाब दिया था जिसे हमने नीचे ट्रांसलेट किया है।
“देखिये मैं आपको बता दूँ की यह (हमारा मॉडल) कुछ ऐसे काम करता है की, किसी का इस तरह की ट्रेनिंग और फाउंडेशन मॉडल में हमसे कम्पटीशन करना बिलकुल बेकार है और उसे ऐसा करने की सोचनी भी नहीं चाहिए। परन्तु ऐसा करने की कोशिश करना, ये आपका काम है और आप कोशिस कर के देख भी सकते हैं। और मैं सच में ऐसा मानता हूँ और यह समझता हूँ की ऐसा करना बिलकुल बेकार है।”
Sam Altman, CEO OpenAI
The way this works is we’re going to tell you, it’s totally hopeless to compete with us on training foundation models [and] you shouldn’t try. And it’s your job to try anyway. And I believe both of those things. I think it is pretty hopeless,
Sam Altman
सैम ऑल्टमन की बात कुछ भारतीय बिजनस मैन और इंडियन ट्विटर के गले के नीचे नहीं उतरी थी और उन्होंने सैम ऑल्टमन को घमंडी तक कह दिया था। कुछ बिज़नेस मैन जैसे टेक महिंद्रा के MD CP Gurnani ने उनका चैलेंज एक्सेप्ट करते हुआ कुछ ऐसा ट्वीट भी किया था।
कौन है ये सैम ऑल्टमन और क्या है OpenAi
OpenAi का गठन दिसंबर 2015 में किया गया था। इसकी स्थापना करने वाले लोगों में सैम ऑल्टमन के साथ साथ एलोन मस्क भी शामिल थे, जो इस संस्था को इसके शुरुआती दिनों में आर्थिक सहायता भी दे रहे थे। अपने शुरुआती दिनों में OpenAi एक नॉन प्रॉफिट आर्गेनाईजेशन के तौर पर काम कर रही थी और उनका कहना था की वो आर्टिफीसियल जनरल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल मानव समाज के कल्याण के लिए करना चाहते हैं।
असल में OpenAi कुछ ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही थी जिसे टेक्नोलॉजी की दुनिया में जेनरेटिव प्री ट्रैंड ट्रांसफार्मर कहा जाता है। गूगल भी ऐसे हीं टेक्नोलॉजी पर काम कर रही थी जिसे उसने Deep Mind नाम दिया था। इस टेक्नोलॉजी में एक कंप्यूटर किसी एक इंसान की भांति किसी भाषा में या डाटा में पैटर्न्स को ढूंढ सकता है।
यदि आपको कुछ समझ में नहीं आया तो चलिए इसे एक उदहारण से समझते हैं। मान लीजिये की आप हिंदी भाषा का पेपर दे रहे हैं आपको कुछ Fill in the Blanks यानि खाली स्थान भरने वाले प्रश्न दिए गए हैं। हमने वैसा हीं एक प्रश्न नीचे दिया है। आपको सही शब्द का चुनाव करके खाली स्थान में भरना है।
1 . पौधे बिना ________ के मर जाते हैं।
सही उत्तर चुनें
- पानी
- चाय
यदि मनुष्यों को इस सवाल का जवाब पुछा जाए तो वो बड़ी आसानी से इसका उत्तर दे सकते हैं परन्तु एक कंप्यूटर के लिए जवाब देना तो छोड़िये इस सवाल को समझ पाना भी मुश्किल होगा।
यहीं पर ट्रांसफार्मर अल्गोरिदम काम में आते हैं। इन्हे इंटरनेट पर मौजुद डाटा को देकर ट्रेन किया जाता है। यह स्वाभाविक है की इंटरनेट पर मौजूद किसी आर्टिकल या डॉक्यूमेंट में यदि पौधे से संबंधिंत कोई सेंटेंस होगा और उसमे “बिन” या “बिना” और “मर” या “मरना” शब्द साथ में होगा तो उसमे “खाद” “रौशनी” या “पानी” शब्द के होने की सम्भावना भी सबसे अधिक होगी। क्योंकि पौधे इन्हीं तीनों चीज़ों के न मिलने पर मरते हैं।
ज्यादातर इंसानो को पौधों से सम्बंधित ये बात एक्सपीरियंस से या किसी किताब में पढ़कर या स्कूल में अध्यापक से पता चलती है। पर एक कंप्यूटर को डाटा एनालाइज़ करके ऐसा करना सिखाया जाता है। एक कंप्यूटर को इसी तरह से सही उत्तर पहचानना सिखाया जाता है और वह बहोत कम समय में ऐसा करना सीख जाता है। यहाँ एक बहोत हीं सिंपल उद्धारण द्वारा एक जटिल अल्गोरिदम को समझाया गया है। लेकिन आप को यह अंदाज़ा जरूर लग गया होगा की ये मॉडल कैसे काम करते हैं।
OpenAi कुछ ऐसे हीं अल्गोरिदम पर काम कर रही थी जिसका इस्तेमाल करके उसने लार्ज लैंग्वेज मॉडल डेवेलप किये थे जो इंसानो द्वारा पूछे गए सवालों का मतलब समझ सकते थे और उस सवाल के जवाब को भी बिना किसी इंसान के सहायता के तैयार कर सकते थे। लेकिन इस टेक्नोलॉजी को और डेवेलोप करने के लिए उन्हें और निवेश की आवशयकता थी।
जुलाई 2019 में OpenAi ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ पार्टनरशिप एग्रीमेंट किया जिसमे माइक्रोसॉफ्ट OpenAi में 1 बिलियन डॉलर का निवेश यानि इन्वेस्टमेंट करने के लिए तैयार हो गया था। इस डील के साथ हीं OpenAi ने अपने सोर्स कोड को भी ओपन सोर्स से प्राइवेट कर दिया था यानि अब आप ChatGPT जैसे चैट बोट्स का इस्तेमाल तो कर सकते थे पर उनके पीछे के सोर्स कोड और उनके काम करने के तरीके को नहीं समझ सकते थे। जाहिर सी बात थी की अब माइक्रोसॉफ्ट और OpenAI दोनों इसका इस्तेमाल करके अपने लिए पैसे बनाना चाहती थी।
OpenAi के इस फैसले से कई लोगों ने इसकी काफी आलोचना भी की थी। इसके फाउन्डिंग मेंबर में से एक एलोन मस्क OpenAi के इस फैसले से इतने नाराज़ हुए थे की उन्होंने OpenAi पर एक लीगल केस भी फाइल कर दिया था। मस्क का कहना था की OpenAi को जिस मकसद के लिए बनाया गया था वह उस से अलग राह पर बढ़ रही है। OpenAi ने अपने चैट बॉट chatGPT का सोर्स कोड प्राइवेट कर दिया था और मस्क का कहना था की इसे ओपन सोर्स रखा जाना चाहिए।
इन सभी फैसलों के पीछे OpenAi के सीईओ सैम ऑल्टमन का हीं हाथ था। OpenAi के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स, सैम ऑल्टमन के कई फैसलों से सहमत नहीं थे इसलिए नवंबर 2023 में उन्हें कंपनी के सीईओ पद से भी हटा दिया गया था।
परन्तु अब OpenAi की फंडिंग माइक्रोसॉफ्ट कर रही थी और वह नहीं चाहती थी की सैम ऑल्ट मन को सीईओ पद से हटाया जाए इसलिए उन्हें हटाने के तुरंत बाद OpenAi में वापस बुला लिया गया था और OpenAi को आगे बढ़ाने की कमान वापस से उनके हाथों में आ गयी थी। और इसके साथ chatGPT के सोर्स कोड को इस्तेमाल करने का एकमात्र लाइसेंस अब माइक्रोसॉफ्ट के हाथों में आ गया था।
इसके बाद OpenAi ने न केवल chatGPT जैसे चैट बॉट तैयार किये हैं बल्कि सॉरा जैसा AI वीडियो जनरेटर भी तैयार किया है जो केवल कुछ शब्दों से एक ऐसा वीडियो तैयार कर सकता है जिसके किरदार एकदम हूबहू किसी फिल्म के कलाकारों जैसे दीखते हैं।
यही नहीं किसी असली व्यक्ति के वीडियो या केवल तस्वीर को देखकर भी उस व्यक्ति का जीता जागता वीडियो तैयार किया जा सकता है। और तो और ये ऐसे वीडियो भी तैयार कर सकता है जिसकी आप केवल कल्पना हीं कर सकते थे। पर आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस अब आप की कल्पना को भी जिवंत कर देगा, विश्वास न हो तो नीचे दिया वीडियो देखें जो सॉरा AI द्वारा तैयार किया गया है।
ये सभी उपलब्धियां हासिल करने के बाद OpenAi का असली मकसद आर्टिफीसियल जनरल इंटेलिजेंस यानि AGI तैयार करना है। कंपनी का कहना है की अभी वह AGI डेवेलप नहीं कर पाई है परन्तु एलोन मस्क और इंटरनेट पर मौजूद जन्ता अभी से कयास लगाने लगे हैं की शायद AGI डेवेलोप कर लिया गया है और OpenAi उसे जनता से छुपा रही है।
AGI के आ जाने के बाद आर्टफिशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके बाकि इंडस्ट्रीज और मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी को और भी बेहतर बनाया जा सकता है। जैसे एक AGI से लैस रोबोट का इस्तेमाल एक हॉस्पिटल में किया जा सकता है। वहां वह मरीजों का शुरुआती डायग्नोस्टिक या जांच बिना किसी डॉक्टर के मदद के कर सकता है। एक रोबोटिक आर्म किसी डॉक्टर की तरह स्टीट्चेस लगा सकता है या किसी ऑपरेशन थिएटर में सर्जरी में एक सर्जन को असिस्ट कर सकता है।
कार मैन्युफैक्चरिंग में रोबोट्स का इस्तेमाल पहले हीं किया जाता था परन्तु AGI के आ जाने के बाद इंसानो की मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस में जरूरत न के बराबर रह जाएगी। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट जैसे फ़ील्ड्स में तो अभी से आर्टफिशल इंटेलिजेंस बोट्स का इस्तेमाल होने लगा है।
यही कारण है की कई लोग OpenAi जैसे कम्पनीयो और आने वाले भविष्य की कल्पना करके थोड़े भयभीत भी हैं। उन्हें लगता है की भविष्य में कंपनियों को अपना सामान बनाने में या सर्विसेज देने में इंसानो की आवश्यकता उतनी न पड़े जितनी आज पड़ती है। फिर क्या कम्पनियाँ इंसानो को मोटा वेतन देने के लिए तैयार होंगी। और यदि वो अपना पैसा बचाने के लिए बड़े पैमाने पर लोगो की छंटनी करती हैं तो फिर इन मशीनों द्वारा बनाया गए सामान खरीदेगा कौन?