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क्या ‘इन्फॉर्मेशन ओवरलोड’ आपके दिमाग का दही कर रहा है, कैसे बचें इस बला से

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सोशल मीडिया, यूट्यूब, शॉर्ट्स, रील्स, टीवी, न्यूज़, मैगजीन्स, फिल्म्स, गॉसिप, पॉलिटिक्स पर चर्चा, यदि इन सब से तंग आ चुके हैं तो शायद आप भी इनफार्मेशन ओवरलोड के शिकार हैं। आज के जमाने में आपके इर्द गिर्द डिजिटल स्क्रीन्स की बाढ़ सी आ गयी है। आपके चारों और डिजिटल उपकरणों का ताना बाना बुना हुआ है जिसमे से हर वक़्त किसी न किसी तरह के इन्फॉर्मेशन की बौछार आप पर हमेशा पड़ती रहती है और न चाहते हुए भी आपको इसमें भीगना पड़ता है। 

आज के जामने में व्यक्ति यदि शांति से एकेला भी बैठा हो तो भी उसके पास एक ऐसा यन्त्र जरूर होता है जो हर ५ से १० मिनट में उसको कोई जानकारी या समाचार का नोटिफिकेशन जरूर देता रहता है। आपके सोशल मीडिया को खोलने पर हर व्यक्ति किसी न किसी तरह का वीडियो, शॉर्ट्स या रील आपसे शेयर करता जरूर मिल जायेगा। 

पहले केवल आपके फ्रेंड्स या कलीग हीं आपके साथ इस तरह की जानकारी साझा करते थे लेकिन आज का सोशल मीडिया कुछ इस तरह बनाया गया है की आपसे पूरी तरह से अनजान व्यक्तियों की जिंदगी की झलक भी आपको मिलती रहती है। 

इसके साथ हीं टीवी पर चलने वाले डिबेट्स जिसमे न्यूज़ कम ओपिनियन या अपनी पर्सनल राय ज्यादा शेयर की जाती है, हर हफ्ते आने वाली नयी फिल्म और टीवी पर दिखाए जाने वाले बेतुके कार्यक्रम, वेब सीरीज आदि भी आपके दिमाग को बेकार इनफार्मेशन से भरते रहते हैं। यदि इन सब में आपके काम का तनाव भी साथ में जोड़ दिया जाए तो आपका दिमाग तो छोड़िये आपका शरीर भी काम करना बंद कर देता है। 

क्यों होता है इनफार्मेशन ओवरलोड 

आज से दो या तीन दशक पीछे जाएँ तो हमारा जीवन थोड़ा ज्यादा आसान था। सोशल मीडिया जैसे की फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स लगभग न के बराबर थे। लेकिन आज हर दूसरा व्यक्ति आपको किसी न किसी प्रकार के सोशल मीडिया पर जरूर मिल जायेगा। 

कुछ अपने निजी जीवन की झलक पूरे संसार को दिखाने के लिए सोशल मीडिया पर आते हैं तो कुछ किसी और व्यक्ति के जिंदगी में ख़ास रूचि रखतें हैं या सोशल मीडिया की भाषा में कहें तो उसे फॉलो करने के लिए स्वयं का प्रोफाइल बनाते हैं। 

कुछ तो इसे कमाई का साधन, मार्केटिंग के टूल या एक व्यापार की तरह लेते हैं और इस से मोटा पैसा भी बनाते हैं क्योंकि आपके या मेरे जैसे लोग शरीर से अपने घर पर होते हुए भी अपने दिल और दिमाग से सोशल मीडिया पर हीं मौजूद होते हैं इसी लिए किसी कंपनी या बिजनेस को कुछ बेचना हो तो आपका अटेंशन पाने के लिए सोशल मीडिया सबसे सही जगह है। 

आप अपने फ़ोन पर, टीवी पर, सोशल मीडिया पर, वीडियो शेयरिंग साइट्स पर, OTT प्लेटफॉर्म्स पर जो भी देखते हैं उसका सीधा असर आपके दिमाग पर भी होता है। हमारा छोटा सा दिमाग किसी हार्ड ड्राइव की तरह एक लिमिटेड सीमा तक हीं इनफार्मेशन या जानकारी को स्टोर कर के रख सकता है। और इस जानकारी को स्टोर होने में भी कई बार हफ़्तों या महीनो का समय लग जाता है। 

यही कारण है की आप कुछ नया सीखने जाते हैं तो आपको कुछ दिन तक अपना दिमाग और शरीर दोनों लगाकर उसे सीखने की कोशिश करनी पड़ती है। याद करिये की किसी जरूरी परीक्षा के आने से एक दिन पहले आप किस तरह पूरी किताब को एक घंटे के अंदर पढ़ने की कोशिश करते हैं। लेकिन कुछ पन्ने पढ़ने के बाद हीं आप अपने दिमाग को टेबल पर या किताब पर दे मारते हैं क्योंकि आपको अंदाज़ा लग जाता है की ऐसा करना असंभव है। 

इसी फीलिंग को इनफार्मेशन ओवरलोड कहते हैं। जरूरी नहीं की वो चीजें जो आपके दिमाग को किसी तरह का स्ट्रेस या तनाव न दें वो आपके दिमाग पर कोई असर न डालें। आप सोशल मीडिया पर किसी की चमक दमक वाली लाइफ देखकर, किसी के फॉलोवरस की संख्या देखकर, अपने मित्र की चमचमाति कार या बाइक देखकर भी तनाव ग्रस्त हो सकते हैं क्योंकि हम इंसानो को भगवान ने कुछ ऐसा बनाया है की हमारा दिमाग न चाहते हुए भी ईर्ष्या से भर जाता है, खासकर तब जब सामने वाला व्यक्ति हमसे परिचित हो या हमारा दोस्त हो।

कैसे बचें इनफार्मेशन ओवरलोड से 

हमारा दिमाग किसी जानकारी को एक स्पंज की तरह सोख लेता है चाहे वो जानकारी हमारे किसी काम की हो या नहीं हो। यही कारण है की आप रील्स या शॉर्ट्स देखते समय खुद को आगे आगे स्क्रॉल करने से रोक नहीं पाते। यूट्यूब पर एक वीडियो के बाद दूसरे पर क्लिक करते चले जाते हैं।

साथ हीं OTT और वेब सीरीज के जमाने में आप एक एपिसोड के बाद दूसरा बिना रुके बिंज वाच कर सकते हैं। इंस्टेंट ग्रेटिफिकेशन यानि तुरंत अभी के अभी सब कुछ मिलने या देखने की चाहत में आप एक के बाद एक दूसरा एपिसोड देख डालते हैं। 

लेकिन आप यह नहीं देखते की आप जो कुछ भी देख रहें है उसका आपके दिमाग पर क्या असर हो रहा है। जरूरत से ज्यादा इनफार्मेशन को एक साथ प्रोसेस करने में आपके दिमाग को ज्यादा तेज़ी से और देर तक काम करना पड़ता है। और ऐसा करते वक़्त यदि आप खाना पीना भी समय पर न खाएं तो आपका दिमाग अपने आप खुद को शट डाउन करने के लिए मजबूर हो जाता है और आप न चाहते हुए भी इनफार्मेशन ओवरलोड का शिकार हो जाते हैं। 

इनफार्मेशन ओवरलोड आपको कम समय में ज्यादा पढाई करने पर, किसी कला को या संगीत को जल्दी सीखने की कोशिस करने पर, किसी नए जॉब पर काम सिखने की कोशिश करने पर भी हो सकता है। इस से बचने का एकमात्र तरीका यह है की आपके दिमाग को कुछ भी देखने या सिखने के लिए थोड़ा समय दिया जाए। दिमाग के पास पहुँचने वाली जानकारी या इनफार्मेशन पर भी कण्ट्रोल रखा जाए। 

यदि आप कुछ नया सिखने की कोशिश कर रहें हैं तो आप बीच बीच में ब्रेक जरूर लें ताकि आपके दिमाग को सीखे गए इनफार्मेशन को अपने अंदर बैठाने का समय मिल जाए। साथ हीं  विकिपीडिया, गूगल और सोशल मीडिया के जामने में आपके ऊपर निरंतर फैक्ट्स की बौछार होती रहती है। अब इस में से कौन सी जानकारी आपके लिए जरूरी है इसका चुनाव करने का काम भी आपके दिमाग का होता है।

इसमें आप टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर के भी अपने दिमाग के काम को थोड़ा आसान बना सकते हैं। जैसे आज आप किसी परिचित का फ़ोन नंबर याद नहीं करते बल्कि उसे अपने फ़ोन में सेव कर लेते हैं। उसी तरह से आप यदि इनफार्मेशन ओवरलोड का शिकार हो रहें हैं तो किसी वीडियो या सीरीज को कल के लिए टाल कर छोड़ सकते हैं। हो सकता है की कल आपका दिमाग उस इनफार्मेशन को लेने के लिए उतना उत्सुक न हो। 

मल्टीटास्किंग से बचें

जब आप एक साथ जरूरत से ज्यादा काम करने की कोशिस करते हैं तो अपने शरीर के साथ साथ अपने दिमाग को भी तनाव में डालते हैं। कई वैज्ञानिक रिसर्च में भी पता चला है की ऐसा करना आपके दिमाग की सेहत के लिए यानि आपके लिए अच्छा नहीं होता है। ऐसा करने पर यह भी देखा गया है की आपके IQ स्कोर में कमी आती है और यह ऐसा हीं हैं जैसे आप आधी रात से ज्यादा जागने के बाद भी सवेरे पांच बजे जाग जाएँ और कुछ करने की कोशिश करें, स्वाभाविक है की आपका दिमाग अपनी पूरी क्षमता पर काम नहीं कर पायेगा। 

कोशिस करें की आप एक काम को करने में कम से कम आधा घंटे का समय दें और उसके बाद हीं किसी दूसरे काम में हाथ लगाएं।  

हर काम को करते समय छोटे छोटे ब्रेक लें 

यह नियम सोशल मीडिया ब्राउज करते वक़्त, यूट्यूब वीडियोस देखते समय, कुछ सीखने की कोशिश करते समय, पढाई करते समय और कोई भी काम करते समय लागू होता है। किसी भी काम को लगातार बिना रुके करने पर या करने की कोशिश करने पर आपका दिमाग समझदारी दिखाते हुए स्वयं अपने आप को धीमा कर लेता है। 

यदि आप कुछ भी करते समय यदि छोटे छोटे ब्रेक लेते हैं तो आपके दिमाग को क्या जरूरी है और याद करने लायक है और क्या नहीं, ये सोचने का समय मिल जाता है। आप कुछ देर के लिए जब सोशल मीडिया से या अपने काम से दूर होते हैं तो आपका दिमाग अपने रिसेट बटन को एक्टिवेट कर देता है और आपको अच्छा या तरोताज़ा फील होता है और हो सकता है की आपका दिमाग डिस्ट्रैक्ट हो कर किसी और जरूरी काम में लग जाए। 

इनफार्मेशन ओवरलोड से बचने का तरीका इतना मुश्किल नहीं है, मुश्किल है तो बताये गए तरीके पर काम करना और उसे सच में करना। अपने दिमाग को मनाने का काम हीं सबसे अधिक मुश्किल होता है और वही आपको सबसे पहले करना है।