इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन तो आप सब ने देखि होगी। यदि आपकी वोट डालने की उम्र नहीं भी हुई है तो भी आपने टीवी या सोशल मीडिया पर इन मशीनों से वोट डालते लोगों को जरूर देखा होगा। तो क्या है इन मशीनों का इतिहास आज हम आपको यही बताने वाले हैं।
भारत में इन मशीनों के आने से पहले वोट देने के लिए पेपर बैलट का इस्तेमाल किया जाता था। एक शीट पर उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिन्ह बने होते थे जिन पर आपको या तो अपने हस्ताक्षर करने होते थे या अंगूठे का निशान लगाना होता था, या फिर एक मुहर की मदद से आप उस पर निशान लगा सकते थे।
ऐसा करने के बाद आपको इस पेपर को एक खास आकार में फोल्ड करना होता था और फिर इसे एक बक्से में डालना होता था। बक्से में पेपर को डालने के लिए एक खांचा भी बना होता था। और बक्से के अंदर कोई देख न सके इस के लिए उस पर एक ताला भी लगा होता था।
आज आपको इस तरीके से मतदान होता हुआ देखने को भी नहीं मिलेगा परन्तु 90 के दशक के ख़त्म होने से पहले भारत के सभी लोक सभा और विधान सभा चुनावों में इसी तरीके के इस्तेमाल से वोट डाले जाते थे।
कैसे सुरु हुआ EVM से मतदान
यदि EVM के भारत में सबसे पहले इस्तेमाल की बात करें तो इसे सबसे पहली बार केरला के जनरल एलेक्शंस में मई 1982 में इस्तेमाल किया गया था। लेकिन चुनाव के तुरंत बाद इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया था और चुनाव दुबारा करवाए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट का कहना था की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के इस्तेमाल को लेकर कोई कानून नहीं है इस लिए सरकार ने इसके इस्तेमाल को मंजूरी देने के लिए साल 1989 में रिप्रेजेंटेशन ऑफ़ पीपल्स एक्ट में बदलाव किया।
लेकिन इसके इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद भी राजनितिक पार्टियां इसके यूज़ के लिए सहमत नहीं थीं। इलेक्शन कमीशन ने इस बारे में सभी पार्टियों से बात करने के बाद उनको विश्वास में लिया। इसके बाद 1998 में कुछ राज्यों के चुनावो में EVM का प्रयोग हुआ।
यदि पार्लियामेंट्री एलेक्शंस यानि जनरल एलेक्शंस की बात करें तो EVM पहली बार 2004 में हुए चुनावों में इस्तेमाल हुए थे और तब से अब तक इस्तेमाल होते आ रहे हैं।
कैसे काम करता है इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानि EVM
EVM से मतदान करने के लिए वैसे तो केवल दो मशीनों की जरूरत होती है लेकिन 2010 में इसमें एक और मशीन को जोड़ा गया था जिसे Voter Verifiable Paper Audit Trail यानि VVPAT कहा जाता है। इस VVPAT मशीन से वोट देने के बाद एक कागज़ पर वोट दिया गया चुनाव चिन्ह और उम्म्मीद्वार का नाम छप जाता है और कुछ देर के लिए वोटर को दिखाई देता है और फिर एक बक्से के अंदर गिर जाता है।
VVPAT जोड़ने का कारण यह था की कुछ पार्टियां EVM को लेकर कई सवाल उठा रहीं थीं और उनको इसके रिजल्ट्स पर भरोसा नहीं था। इलेक्शन कमीशन ने उनकी शंका को दूर करने के लिए और वोटों की दुबारा गिनती को आसान बनाने के लिए इस मशीन को EVM के साथ में जोड़ा था।
यदि चुनाव में खड़े उम्मीदवार इलेक्शन रिजल्ट्स पर सवाल उठाते हैं और दुबारा गिनती चाहते हैं तो वो EVM और VVPAT दोनों के अंदर के वोटों के संख्या को आपस में मिला कर देख सकते हैं। EVM द्वारा गिने गए वोटों की संख्या और VVPAT में से निकले वोटों की पर्चों की संख्या आपस में मैच होनी चाहिए।
EVM मशीन के बात करें तो इसमें एक वोटिंग या बैलोटिंग यूनिट होता है जिसमे उम्मीदवारों के नाम लिखे होते हैं और उनके चुनाव चिन्ह भी लगे होते हैं। नाम और चिन्ह के आगे एक बटन लगा होता है और एक लाल रंग की बत्ती भी होती है।
वोटिंग यूनिट के साथ साथ एक कण्ट्रोल यूनिट भी एक तार द्वारा जुड़ा होता है। कण्ट्रोल यूनिट के साथ साथ VVPAT मशीन भी जुड़ा होता है।
इन सभी मशीनों को चलाने के लिए बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है।
EVM द्वारा वोट कैसे डाला जाता है
आज के समय में यदि आप वोट डालने के लिए जाते हैं तो आपको EVM मशीन का प्रयोग करके हीं अपना वोट डालना होता है। आपके नाम का वोटर लिस्ट में परीक्षण करने के बाद आपको वोट डालने के लिए EVM मशीन के केबिन में भेजा जाता है।
आपको केवल चुनाव चिन्ह या उम्मीदवार के नाम को पहचान कर वोटिंग मशीन में उसके नाम के आगे लगे बटन को दबाना होता है। बटन दबाते हीं उसके आगे लगी लाल बत्ती जल जाएगी, सका मतलब होता है की आपका वोट रजिस्टर हो गया है। वोट डालने के तुरंत बाद वहीँ लगे VVPAT मशीन में आपके द्वारा चुने गये उम्मीदवार का नाम और चिन्ह और आपका सीरियल नंबर एक कागज़ पर प्रिंट हो कर आपको VVPAT मशीन के अंदर नज़र आता है।
यह कागज़ आप नहीं ले सकते हैं क्योंकि ये मशीन में एक प्लास्टिक की खिड़की के अंदर होता है जहाँ से ये आपको केवल दिखाई दे सके। यह करीब सात सेकंड के लिए उस खिड़की से आपको दिखाई देता है और फिर मशीन के अंदर कट कर गिर जाता है।
वोट डालने के बाद यह कण्ट्रोल यूनिट में रिकॉर्ड हो जाता है। इस कण्ट्रोल यूनिट से हीं आखिर में वोटों की गिनती की जाती है और किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले हैं यह पता चल जाता है।