Internet Science

कभी थीं अमेरिका की सबसे कम उम्र की महिला अरबपति, अब काट रहीं हैं जेल की सजा

Theranos Elizabeth Holmes Blood testing fraud

बिज़नेस जगत में महिलाओं का नाम अक्सर कम हीं सुनने को मिलता है लेकिन धीरे धीरे इस क्षेत्र में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है। अब महिलाएं न केवल बड़ी बड़ी कंपनियों में बड़े ओहदों पर काम कर रहीं हैं बल्कि कई तो अपने खुद के बिज़नेस एम्पायर भी बना चुकी हैं।

भारत जैसे देशों में, उद्यमिता में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के मुकाबले में उतनी नहीं है लेकिन अमेरिका जैसे देशों की बात करें तो आपको महिलाओं द्वारा अपने बल बुते पर खड़ी की गई कई कम्पनियां देखने को मिल जाएँगी। 

लेकिन यदि हम किसी कंपनी या उसके मालिकों द्वारा किये जाने वाले धोखाधड़ी की बात करें तो केवल पुरुषों का नाम सामने आता है। महिला उद्यमियों का नाम शायद हीं आपने कभी सुना हो। लेकिन आप जान कर हैरान हो जायेंगे की धोखाधड़ी और फ्रॉड के लिए बदनाम कई कंपनियां ऐसी भी हैं जिन्हें बनाने और चलाने वाली एक महिला भी हो सकती है। 

थेरानॉस भी एक ऐसी हीं कंपनी थी जिसे एलिज़ाबेथ होल्म्स नाम की एक अमेरिकन महिला ने बनाया था। एलिज़ाबेथ होल्म्स एक समय में अमेरिकन मीडिया में इस कदर छायीं हुई थीं की लोग उन्हें महिला “स्टीव जॉब्स” भी बुलाने लगे थे।

बड़े बड़े निवेशक और इन्वेस्टर्स उनकी कंपनी, थेरानॉस में पैसा लगाने के लिए बेताब थे और कईओं ने अपना पैसा लगाया भी लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ की थेरानॉस उन सब के पैसों को ले डूबी और एलिज़ाबेथ होल्म्स को जेल की हवा खानी पड़ गई। फिलहाल वो जेल की सलाखों के पीछे हीं अपना जीवन व्यतीत कर रहीं हैं। 

कौन हैं एलिज़ाबेथ होल्म्स 

एलिजाबेथ होल्म्स का जन्म 3 फ़रवरी, 1984 को वाशिंगटन, अमेरिका में हुआ था। उनके पिता एनरॉन कंपनी में काम करते थे जिसका 2001 में दिवाला निकल गया था। एलिज़ाबेथ होल्म्स को भी अपने पिता की तरह बिज़नेस जगत में अपना बड़ा नाम बनाना था। 

छोटी उम्र में हीं उनकी रूचि विज्ञान जैसे विषयों में ज्यादा थी और आगे चलकर स्टेम फ़ील्ड में कुछ बड़ा करने की चाहत भी थी। उन्होंने स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा प्राप्त की, लेकिन उन्होंने सीनियर वर्ष में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी और अपनी कंपनी Theranos की स्थापना करने का निर्णय लिया। 

Theranos कंपनी को उन्होंने 2003 में स्थापित किया था। इसकी स्थापना करने वाले लोगों में पाकिस्तानी मूल के एक व्यक्ति सनी बलवानी ने भी उनकी मदद की थी जो आगे चलकर खुद भी धोखाधड़ी और फ्रॉड के आरोपों में घिरने वाले थे।

क्या बनाती थी थेरानॉस 

Theranos Fraud Edison Elizabeth Holmes Sunny Balwani

एलिज़ाबेथ होल्म्स ने अपनी कंपनी बनाने का निर्णय अपने कॉलेज के दिनों में हीं ले लिया था। उन्होंने ने अपनी इस कंपनी के बारे में अपने स्टैनफोर्ड प्रोफेसर Phyllis Gardner को भी बताया था लेकिन वे एलिज़ाबेथ के आईडिया से कुछ ज्यादा सहमत नहीं थे।

लेकिन एलिज़ाबेथ फिर भी अपने विचार और कंपनी बनाने के निर्णय पर डटी रहीं। लेकिन यह आईडिया था क्या, हम आपको उसके बारे में बता देते हैं। एलिज़ाबेथ होम्स का कहना था की बचपन में उसे सुई और सिरिंज से बहोत डर लगता था खासकर तब जब उसका इस्तेमाल करके किसी व्यक्ति के शरीर से खून निकला जाता था। उसका मानना था की हॉस्पिटल में किये जाने वाले ब्लड टेस्टिंग में जरूरत से ज्यादा खून का इस्तेमाल किया जाता है। 

इसलिए वो चाहती थी की वो एक ऐसे मशीन को तैयार करे जिसका इस्तेमाल कर के केवल आपकी उंगलियों से निकले कुछ बून्द खून से हीं हर प्रकार की ब्लड टेस्टिंग को किया जा सके। इस से पहले ब्लड टेस्टिंग करने के लिए कई तरह के मैन्युअल टेस्ट करने पड़ते थे जिसमे एक बड़ी लेबोरेटरी, केमिकल्स और कई तरह की मशीनों का प्रयोग करना पड़ता था। एलिज़ाबेथ होल्म्स का कहना था की उसकी कंपनी एक छोटी मशीन बनाएगी जो हर तरह की ब्लड टेस्टिंग को बिना किसी इंसान के जरूरत के खुद कर सकती थी।

एलिज़ाबेथ के प्रोफेसर Phyllis Gardner की तरह बाकि डॉक्टर्स और विशेषज्ञों ने भी एलिज़ाबेथ होल्म्स के इस आइडिया को सुनने के बाद यही कहा की ऐसा करना संभव नहीं है क्योंकि ब्लड टेस्टिंग में कई तरह के परीक्षण करने पड़ते हैं जिसमे अलग अलग मशीनों और केमिकलस का प्रयोग होता है और साथ हीं हर व्यक्ति के बीमारी और जरूरत अनुसार अलग अलग टेस्ट्स करने पड़ते हैं। 

लेकिन इन सब बातों को नज़रअंदाज़ कर के एलिज़ाबेथ होल्म्स अपने फैसले पर डटी रहीं। उन्होंने ने अपने स्टैनफोर्ड प्रोफेसर Channing Robertson को भी अपने आईडिया और कंपनी के बारे में बताया, जो पहले व्यक्ति थे जो एलिज़ाबेथ के आईडिया से प्रभावित हुए थे। उन्होंने ने होल्म्स को कई वेंचर कैपिटलिस्ट से भी मिलवाया जो एलिज़ाबेथ के आईडिया और कंपनी में पैसा लगाने के लिए तैयार हो गए।

इसके बाद कई कपंनियां और निवेशक थेरानॉस में अपना पैसा लगाने के लिए तैयार हो गए थे। इसके बाद तो मानो जैसे एलिज़ाबेथ के सपनों को नए पंख लग गए थे। एलिज़ाबेथ ने अपनी कंपनी को बड़े बड़े मीडिया चैनल्स पर प्रमोट करना सुरु कर दिया। मीडिया भी एक महिला उद्योगपति को इतनी तेज़ी से ऊपर बढ़ता देख कर केवल उनके बारे में हीं बात करना चाहता था।

अमेरिकन बिज़नेस मैगज़ीन फोर्ब्स ने होम्स को दुनिया की सबसे कम उम्र की सेल्फ मेड महिला अरबपति के रूप में मान्यता दी और 2014 में फोर्ब्स 400 में उन्हें #110वां स्थान भी दिया। थेरानॉस अब एक नौ अरब डॉलर की कमपनी बन चुकी थी। एलिज़ाबेथ होल्म्स अब स्टीव जॉब्स की तरह काले टर्टल नैक स्वेटर भी पहनने लगीं थी यहाँ तक की वे अब मीडिया इंटरव्यूज में अपनी आवाज़ को भी बदल कर बात करने लगीं थी ताकि उनकी आवाज़ पुरुषों जैसी और ज्यादा डोमिनेटिंग महसूस हो।

इन्वेस्टर्स का पैसा और फंडिंग मिलने के बाद 2015 में थेरानॉस ने अपने ब्लड टेस्टिंग प्रोडक्ट को पहली बार मार्केट में लांच किया जिसका नाम था ‘एडिसन’। एडिसन एक बड़े प्रिंटर के आकार की मशीन थी जिसके साथ एक छोटा सा ब्लड कलेक्टर डिवाइस मिलता था जिसका नाम था नैनोटेनर। ‘nanotainer’ से आपके उंगलिओं में छेद करके कुछ बून्द खून लिया जाता था जो एडिसन मशीन में डालने के बाद आपके ब्लड की रिपोर्ट तैयार करता था।

अपने एडिसन ब्लड टेस्टिंग मशीन के लॉन्च होने के तुरंत बाद थेरानॉस ने Cleveland Clinic, Capital Blue Cross, and AmeriHealth Caritas जैसे कई अमेरिकन हॉस्पिटल्स के साथ एग्रीमेंट किये, जिसमे वो अपने हॉस्पिटलों में एडिसन ब्लड टेस्टिंग मशीन का प्रयोग करने वाले थे।

लेकिन जल्द हीं पता लगने लगा था की थेरानॉस जो दावा कर रही थी वैसा रिजल्ट ये मशीनें बिलकुल भी नहीं दे पा रहीं थीं। इस मशीन का इस्तेमाल करने वाले क्लिनिक और हॉस्पिटलों के कर्मचारी इन मशीनों के होनें के बावजूद, अब भी पुराने मैन्युअल तरीके और लेबोरेटरी का इस्तेमाल कर के हीं ब्लड टेस्टिंग कर रहे थे।

John Carreyrou एक पत्रकार थे जो The Wall Street Journal के लिए काम करते थे। जब उनको इस बात की भनक लगी तो उन्होंने थेरानॉस और उसके प्रोडक्ट एडिसन को लेकर तहक़ीक़ात सुरु कर दी, जिसमे उन्हें थेरानॉस में काम कर चुके और कर रहे कुछ एम्प्लाइज ने भी मदद की थी। 

John Carreyrou अब इस तहक़ीक़ात को The Wall Street Journal में पब्लिश करने वाले थे जिसकी भनक अब एलिज़ाबेथ होल्म्स को भी लग चुकी थी। उन्होंने ने Carreyrou की रिपोर्ट को पब्लिश होने से रोकने के लिए उनको और अपने कुछ एम्प्लाइज जिन्होंने Carreyrou की मदद की थी, उनको लीगल धमकियाँ भी दी थीं।

John Carreyrou ने इन धमकियों के बावजूद कई आर्टिकल पब्लिश किये जिसमे उन्होंने बताया की कैसे थेरानॉस के ब्लड टेस्टिंग मशीन किसी काम के नहीं थे। उनके द्वारा बनाये गए ब्लड रिपोर्ट्स पर भरोसा नहीं किया जा सकता था और कंपनी के मशीनों को इस्तेमाल करने वाले हॉस्पिटल अभी भी पुराने तरीकों से ब्लड टेस्टिंग कर रहे थे। 

जनवरी 2016 में Centers for Medicare and Medicaid Services (CMS), जो की अमेरिका की एक मेडिकल रेगुलेटरी अथॉरिटी है उसने पाया की थेरानॉस द्वारा ऑपरेट किया जाने वाले कई लेबोरेटरीयों में गाइडलाइन्स और नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। इसके बाद जुलाई 2016 में इस रेगुलेटरी अथॉरिटी ने एलिज़ाबेथ होल्म्स पर दो साल का बैन लगाया और उनके द्वारा किसी लेबोरेटरी या मेडिकल रिसर्च संसथान को सुरु करने पर भी दो साल के लिए रोक लगा दी थी। 

इसके बाद जैसे एलिज़ाबेथ होल्म्स का पतन सुरु हो गया और उनके ऊपर कई अमेरिकन रेगुलेटरी अथॉरिटीज ने अपनी इन्वेस्टीगेशन सुरु कर दी। उनके ऊपर अमेरिकन सरकार की कई एजेंसियां जैसे FBI भी धोखाधड़ी का इन्वेस्टीगेशन कर रहीं थीं। 

मार्च 2018 में अमेरिका की सिक्योरिटीज और एक्सचेंज कमीशन ने एलिज़ाबेथ होल्म्स और उसके सह फाउंडर रमेश उर्फ़ सनी बलवानी पे धोखाधड़ी का केस दर्ज किया। उनपर इन्वेस्टर्स से $700 मिलियन डॉलर लेकर एक गलत प्रोडक्ट को बेचने का भी आरोप लगा। 

यह आरोप आखिरकार कोर्ट में सिद्ध हुए और एलिज़ाबेथ होल्म्स को 11.5 साल की सजा दी गई। आज की तारीख़ यानि 2023 की बात करें तो उनके अच्छे व्यवहार को देखते हुए उनकी सजा में से दो साल कम कर दिए गए हैं पर अब भी उन्हें कम से कम 6 साल जेल में और बिताने हैं।