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हीरे के जैसा चमकता है जिरकोनिया फिर भी कीमत इतनी कम क्यों

difference between zirconia and diamond gemstones and jewellery

धरती पर पाए जाने वाले मिनरल्स की बात करें तो हीरा शायद दुनिया का सबसे महंगा नहीं तो दुनिया के सबसे महंगे मिनरल्स में से एक तो जरूर है। यही कारण है कि हीरे की लोकप्रियता हमेशा से चरम पर रही है और भविष्य में भी इसमें कोई कमी आने के आसार दिखाई नहीं देते हैं। 

हीरा एक ऐसा मिनरल है जिसकी चमक हमेशा के लिए बरकरार रहती है और इस पर किसी प्रकार की खरोंच या दाग धब्बे नहीं आते हैं। शायद यही कारण है कि हीरे का व्यापार करने वाली सबसे बड़ी कंपनी डीबीअर्स ने हीरों की मार्केटिंग करने के लिए “डायमंडश आर फॉरएवर” टैगलाइन का इस्तेमाल किया था। जिस टैगलाइन का  हीरा बेचने वाली कंपनियां आज तक इस्तेमाल करती आ रही हैं। 

लेकिन वर्तमान की बात करें तो  बाजार में हीरों की चमक को टक्कर देने के लिए कई दूसरे मिनरल्स भी आ चुके हैं। जिनकी चमक की बात करें तो वे हीरे से किसी मामले में कम नहीं है। और अब तो हीरों को लैब में आर्टिफिशियल रूप से भी बनाया जाने लगा है। लेकिन आर्टिफिशियल डायमंड की कीमत भी  लगभग असली हीरे के बराबर हीं होती है। 

हम आज यहां ऐसे मिनरल की बात कर रहे हैं जो अपनी चमक में हीरे को टक्कर देता है लेकिन यदि उसकी कीमत की बात करें तो वह हीरे की कीमत से लगभग 15 से 20 गुना  कम होता है। हम बात कर रहे हैं क्यूबिक जिरकोनिया की जिस से बने गहने बाज़ार में काफी पॉपुलर हो रहें हैं। 

क्यूबिक जिरकोनिया से बने गहने

क्या होता है क्यूबिक जिरकोनिया (Cubic Zirconia)

यदि डायमंड्स की बात करें तो यह नैचुरली बनता है लेकिन क्यूबिक जिरकोनिया लैब में इंसानों द्वारा बनाया जाता है। क्यूबिक जिरकोनिया एक मिनरल है जिसे Zirconium Dioxide (ZrO2) (ज़िरकोनियम डाइऑक्साइड) भी कहा जाता है।

ज़िरकोनियम एलिमेंट और ऑक्सीजन से बना यह मिनरल एक क्रिस्टेलाइन फॉर्म में होता है जो डायमंड के मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर से काफी मिलता है। आसान शब्दों में कहें तो ये हीरा तो नहीं है पर उस से मिलता जुलता मिनरल है।

यही कारण है की इसे क्यूबिक कहा जाता है जो डायमंड के क्रिस्टेलाइन स्ट्रक्चर से काफी मिलता जुलता है। 

जिरकोनिया की चमक की बात करें तो किसी चमकने वाले मिनरल की चमक उसके रीफ्रैक्टिव इंडेक्स से पता चलती है। जिरकोनिया की चमक को मापने के लिए हमें इसकी तुलना हीरे की चमक के साथ हीं करनी पड़ती है।  

यदि डायमंड की बात करें तो उसका रिफ्रैक्टिव इंडेक्स 2.42 के आसपास होता है वहीँ क्यूबिक जिरकोनिया का रिफ्रैक्टिव इंडेक्स 2.20 के आसपास होता है। यदि पानी के रिफ्रैक्टिव इंडेक्स  की बात करें तो उसका रिफ्रैक्टिव इंडेक्स 1.33 होता है। रिफ्रैक्टिव इंडेक्स जितना ज्यादा होगा एक मिनरल की चमक भी उतनी ही ज्यादा होगी। यही कारण है कि क्यूबिक ज़ीरकोनिया हीरा ना होकर भी हीरे जितना हीं चमकता है।

लेकिन यदि क्यूबिक जिरकोनिया हीरे जितना ही चमकता है तो फिर इसकी कीमत इतनी कम क्यों रखी जाती है। क्यूबिक जिरकोनिया से बने गहनों की बात करें तो यह एक हीरे से बने गहने से लगभग 10 से 20 गुना सस्ता होता है। यानी यदि आपको एक हीरे से बने गहने को खरीदने के लिए ₹1,00,000 की कीमत चुकानी पड़ रही है तो उस से  हूबहू मिलता हुआ जिरकोनिया से बना गहना लगभग आपको ₹1,000 में मिल जाएगा। 

क्यों कम होती है जिरकोनिया की कीमत

क्यूबिक जिरकोनिया की कीमत आपको यह सोचने पर मजबूर कर सकती है कि जब क्यूबिक जिरकोनिया हीरे जितना ही चमकता है तो इसकी कीमत इतनी कम क्यों है। इस बात को समझने के लिए पहले आपको यह समझना पड़ेगा की हीरे बनते कैसे हैं। यदि प्राकृतिक रूप से बने हीरों की बात करें तो वह धरती के अंदर बहुत ही अधिक तापमान और प्रेशर के कारण तैयार होते हैं।

और किसी वोल्कानिक इरप्शन यानी किसी पहाड़ से लावा के विस्फोट होने पर ही धरती से बाहर निकलते हैं। हीरों को किसी लैब में भी बनाया जा सकता है और दिखने में वह किसी प्राकृतिक रूप से निकले हीरे से किसी भी मायने में कम नहीं होते हैं।

लेकिन हीरों को लैब में बनाने में भी काफी खर्च आता है यही कारण है कि यदि आप एक सिंथेटिक डायमंड यानी लैब में बने डायमंड से बने गहने को भी खरीदेंगे तो उसके लिए भी आपको असली हीरे से आधी कीमत चुकानी पड़ेगी। वहीं  क्यूबिक जिरकोनिया  की बात करें तो इसको बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स या एलिमेंट्स जैसे ज़िरकोनियम आसानी से मिल जाते हैं और इनको बनाने का खर्च भी कम होता है। 

जिरकोनिया से बने गहने कितने दिन चलते हैं

यदि क्यूबिक जिरकोनिया से बने गहनों की बात करें तो उनकी उम्र हीरों जितनी ज्यादा नहीं होती। लेकिन फिर भी रोज़ाना इस्तेमाल के वावज़ूद भी, तीन से पांच साल तक इनकी चमक में कोई कमी नहीं आती है। लेकिन यह आपके इस्तेमाल पर भी निर्भर होता है यदि आप क्यूबिक जीरकोनिया से बने गहनों को लगातार ना पहनें  तो यह 20 साल के लम्बे समय तक भी ठीक रह सकते हैं। क्योंकि जीरकोनियों से बने गहनों में चमक तब फीकी होती है जब आप इसका रेगुलर इस्तेमाल करें यानी इसे हमेशा पहने रखें। 

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिरकोनिया हीरे जितना हार्ड नहीं होता है इसीलिए इसमें खरोच आने की संभावना हीरे से थोड़ी ज्यादा होती है। किसी भी मिनरल की हार्डनेस Moh स्केल पर नापी जाती है। यह स्केल 1 से शुरू होकर 10 तक जाती है। यदि किसी केमिकल की हार्डनेस सबसे कम है तो उसे 1 पर रखा जाएगा और यदि यह सबसे ज्यादा है तो उसे 10 पर रखा जाएगा। 

हीरा क्योंकि दुनिया में पाए जाने वाला सबसे हार्ड केमिकल है, इस लिए इसे MOH स्केल में 10 पर रखा जाता है। स्टेनलेस स्टील की बात करें तो इसे 7 से 8 के बीच में रखा जाता है। क्यूबिक जिरकोनिया को इस स्केल में 8.5 पर रखा जाता है।

जैसा कि आप देख सकते हैं क्यूबिक जिरकोनिया हीरे से तो कम हार्ड होता है लेकिन स्टेनलेस स्टील जैसे हार्ड मटेरियल से भी ज्यादा हार्डनेस रखता है। यानि क्यूबिक जिरकोनिया से आप स्टील की सतह को खरोंच सकते हैं। 

कैसे फर्क करें हीरे और जिरकोनिया से बने गहनों में

यदि नंगी आंखों से देखा जाए तो आपको एक हीरे से बने और एक जीरकोनिया से बने गहने में कोई खास फर्क दिखाई नहीं देगा और इनकी चमक भी लगभग एक समान हीं होती है। लेकिन फिर भी आप थोड़ा ध्यान दें तो इन दोनों के बीच के फर्क को पता लगा पाएंगे। 

जीरकोनिया से बने गने में आपको इंद्रधनुष के रंग देखने को मिल सकते हैं। नीचे दी गई तस्वीर में जैसा आप देख सकते हैं की क्यूबिक जिरकोनिया में लाइट के रीफ़्रैक्शन से इंद्रधनुष के रंगों का निर्माण होता है। 

लेकिन एक शुद्ध हीरे से बने गहने में आपको इस तरह का रीफ्रैक्शन देखने को नहीं मिलेगा। क्यूबिक जिरकोनिया और हीरे से बने गहनों में यही सबसे खास फर्क होता है। इसके अलावा क्यूबिक जिरकोनिया से बने जेमस्टोन को स्टर्लिंग सिल्वर में मढ़ा जाता है। वहीँ हीरों को सोने या प्लैटिनम जैसे नोबल मेटल के गहनों में हीं मढ़ा जाता है।

तो आप डेली यूज़ के लिए कोई आभूषण खरीद रहें हैं तो क्यूबिक जिरकोनिया आपके लिए एक बढ़िया चॉइस हो सकता है। इसकी चमक भी कुछ सालों तक बरकरार रहेगी और देखने वाले जिरकोनिया और डायमंड के बीच का फर्क नहीं बता पाएंगे। लेकिन एक हीरे की तरह इसके लिए आपको एक मोटी कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी।