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पहली बार वायरलेस कीबोर्ड खरीद रहें हैं तो जान लें ये बातें

कीबोर्ड का इस्तेमाल आज कल न केवल कंप्यूटर चलाने के लिए होता है बल्कि स्मार्टफोन या आपका स्मार्ट टीवी भी कीबोर्ड से जोड़ा जा सकता है। यदि आप कंप्यूटर पर काम करते हैं तो आपका अधिकतम समय कीबोर्ड पर टाइपिंग करते हीं बीतता होगा। ऐसे में एक ख़राब कीबोर्ड आपके काम करने के रफ़्तार को धीमा कर सकता है। इसलिए जरूरी हो जाता है की कीबोर्ड का चुनाव करने से पहले आप कुछ जरूरी बातों को जान लें।

यदि आप जल्दबाज़ी में कोई भी कीबोर्ड खरीद लेते हैं तो वो जल्दी ख़राब होकर आपका टाइम और पैसा तो बर्बाद करेगा हीं साथ हीं आपके हाथों में दर्द भी दे सकता है। यदि आप नया कीबोर्ड खरीदने जा रहें हैं तो वायरलेस कीबोर्ड एक बढ़िया चॉइस हो सकता है। यदि आपने आज से पहले वायरलेस कीबोर्ड का उपयोग नहीं किया है तो आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, आइये विस्तार से समझते हैं।

वायरलेस कीबोर्ड कैसे काम करता है

जैसा की “वायरलेस” नाम से हीं ज्ञात हो जाता है, एक वायरलेस कीबोर्ड को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए किसी प्रकार के तार या वायर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। वायर न होने के कई फायदे होते हैं जैसे आप अपने कंप्यूटर से कुछ मीटर दूर रह कर भी अपने कंप्यूटर को कमांड दे सकते हैं। आपको हर वक़्त अपने कंप्यूटर के नज़दीक अपने डेस्क पर नहीं बैठना पड़ता है और आप अपने बेड या काउच पर बैठ कर भी अपने कंप्यूटर या स्मार्ट टीवी को चला सकते हैं।

How a wireless mouse and keyboard work. A wireless mouse or keyboard can communicate with either bluetooth or radio signals at a maximum distance of 10 meters or 10 feet.
एक वायरलेस कीबोर्ड और माउस अपने RF रिसीवर से 10 मीटर यानि 33 फ़ीट की दूरी तक काम कर सकता है।
Image Credit: www.digitional.com

वायरलेस कीबोर्ड, कंप्यूटर तक जानकारी पहुँचाने के लिए ब्लूटूथ यानि UHF रेडियो वेव्स का प्रयोग करते हैं। आपको बस अपने कंप्यूटर पर ब्लूटूथ ऑन करके अपने वायरलेस कीबोर्ड को उस से पेअर करना होता है यानि अपने कंप्यूटर से जोड़ना पड़ता है और आप सीधे टाइपिंग करना सुरु कर सकते हैं।

लेकिन वायरलेस कीबोर्ड ब्लूटूथ के अलावा भी कई तरीकों से कंप्यूटर से जोड़े जा सकते हैं। कुछ वायरलेस कीबोर्ड में आपको एक छोटा सा रेडियो फ्रीक्वेंसी रिसीवर (RF Receiver) मिलता है जिसे आपको एक पेन ड्राइव की तरह अपने लैपटॉप अथवा डेस्कटॉप कंप्यूटर के USB पोर्ट में लगाना होता है और आपका कीबोर्ड काम करने लगता है। 

The Unifying RF receiver on a laptop helps it connect to multiple wireless keyboard and mice at once.
इस लैपटॉप के USB पोर्ट में लगा यह RF रिसीवर वायरलेस माउस और कीबोर्ड को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए होता है। आपको हर वायरलेस माउस या कीबोर्ड के साथ ये रिसीवर साथ में मिलता है।
Image Credit: Logitech

RF रिसीवर वाले कीबोर्ड में आपको अपने कंप्यूटर में कोई और सेटिंग बदलने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि ये प्लग एंड प्ले के सिद्धांत पर काम करते हैं। आप इस रिसीवर को जिस किसी भी कंप्यूटर के USB पोर्ट में लगा देंगे ये उसके साथ काम करेगा। आपका वायरलेस कीबोर्ड बटन दबाने पर रेडियो फ्रीक्वेंसी छोड़ता है जो ये छोटा सा RF रिसीवर पकड़ कर आपके कंप्यूटर तक पहुंचाता है।

वहीँ कुछ महंगे कीबोर्ड में आपको वायरलेस रिसीवर के साथ साथ ब्लूटूथ फैसिलिटी भी साथ में मिलती है और आप दोनों तरीकों से अपने कीबोर्ड को अपने कंप्यूटर से जोड़ सकते हैं। इसके साथ साथ ऐसे कीबोर्ड एक साथ दो कम्प्यूटरों के साथ भी जोड़े जा सकते हैं। बस आपको टाइपिंग करते वक़्त कीबोर्ड में लगे बटन को दबा कर एक से दुसरे कंप्यूटर पर स्विच करना होता है।

इसके साथ साथ आप इन कीबोर्ड को इकट्ठे अपने लैपटॉप और स्मार्टफोन के साथ जोड़कर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे कीबोर्ड को Multi Device Keyboard कहा जाता है और ये एक से अधिक डिवाइस को एक साथ कण्ट्रोल करना आसान बनाते हैं और आपको दो अलग अलग कीबोर्ड का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता।

वायरलेस कीबोर्ड खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें

वायरलेस कीबोर्ड आपको कैसा लेना चाहिए ये इस बात पर भी निर्भर करता है की अभी आपको कैसे कीबोर्ड की आदत पड़ी हुई है। एक कीबोर्ड के बटन या कीज़ की बनावट, आकार, एक दुसरे से दूरी इत्यादि कैसे हों। क्या उसमें बैक लाइट की सुविधा यानि रात में रौशनी करने वाले बटन होने चाहिए। क्या आप ऐसा कीबोर्ड ढूंढ रहे हैं, जिसके बटन आपको अपने लैपटॉप के कीबोर्ड जैसे चाहिए। क्या कीबोर्ड में आपको हैंड रिस्ट सपोर्ट यानि कलाई को सहारा देने वाला पैनल भी चाहिए। इन्हीं सब बातों का ध्यान आपको एक कीबोर्ड खरीदने से पहले देना चाहिए।

लेकिन ऐसी सभी सुविधाओं का एक कीबोर्ड में मिलना भी इतना आसान नहीं होता ख़ास कर वायरलेस कीबोर्ड में तो बिलकुल नहीं। आपको हर कीबोर्ड में कुछ न कुछ कमी के साथ हीं संतोष करना पड़ेगा। लेकिन फिर भी एक वायरलेस कीबोर्ड चुनते वक़्त इन मुख्य बातों का ध्यान जरूर रखें।

मल्टी डिवाइस सपोर्ट

यदि आप ऐसा कीबोर्ड ढूंढ रहें हैं जिसे एक से अधिक डिवाइसेज़ के साथ एक साथ जोड़ा जा सके तो आपको मल्टी डिवाइस सपोर्ट वाला कीबोर्ड खरीदना चाहिए। मान लीजिये की आप अपने लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम कर रहें हैं और उसके साथ साथ अपने स्मार्टफोन पर किसी मैसेज को टाइप करना चाहते हैं तो एक मल्टी डिवाइस कीबोर्ड के साथ आप ऐसा एक साथ कर सकते हैं।

Multi device keyboard allows you to connect to multiple devices using one keyboard. To change or switch between the device all you have to do is select the device by pressing a button on the wireless keyboard.
इस वायरलेस कीबोर्ड को आप ब्लूटूथ का प्रयोग करके एक साथ तीन कंप्यूटर या स्मार्टफोन के साथ जोड़ सकते हैं। इस वायरलेस कीबोर्ड में बताई गई जगह पर ऊपर के तीन बटन आपको डिवाइस बदलने में यानि एक से दुसरे कंप्यूटर पर टाइपिंग करने के लिए दिए गए हैं।

आपको अपने कीबोर्ड को ब्लूटूथ से अपने स्मार्टफोन से जोड़ना होगा और अपने कंप्यूटर से जोड़ने के लिए या तो आप ब्लूटूथ या फिर RF रिसीवर का प्रयोग कर सकते हैं। टाइपिंग करते वक़्त स्मार्टफोन या लैपटॉप में बदलने के लिए आपको बस कीबोर्ड पर एक बटन दबाना होता है। लेकिन यह भी ध्यान रहे की मल्टी डिवाइस सपोर्ट वाले कीबोर्ड औसत वायरलेस कीबोर्ड से थोड़े महँगे आते हैं।

कीबोर्ड और माउस कॉम्बो वाले वायरलेस कीबोर्ड 

जैसा की आपको नाम से ज्ञात हो गया होगा की एक कॉम्बो कीबोर्ड में आपको एक वायरलेस माउस भी साथ में मिलता है। माउस और कीबोर्ड के साथ आपको एक RF रिसीवर भी मिलता है जो की माउस और कीबोर्ड दोनों के साथ काम करता है। आपको रिसीवर को एक पेन ड्राइव की तरह अपने लैपटॉप के USB पोर्ट में लगाना होता है और आपका माउस और कीबोर्ड दोनों साथ में काम करते हैं।

हर वायरलेस कीबोर्ड या माउस को कंप्यूटर से जुड़ने के लिए एक RF रिसीवर या ब्लूटूथ की जरूरत होती है। ऐसे में एक कॉम्बो वाले कीबोर्ड में आपको माउस के लिए अलग से रिसीवर नहीं खरीदना पड़ता। मान लीजिये की आपने एक वायरलेस कीबोर्ड ख़रीदा है जो केवल RF रिसीवर से चलता है और भविष्य में आप एक वायरलेस माउस अलग से खरीदते हैं तो उसके साथ आपको एक और RF रिसीवर मिलेगा जो आपके कंप्यूटर में एक और USB पोर्ट में लगेगा। इस तरह से आपके दो USB पोर्ट केवल माउस और कीबोर्ड लगाने में उपयोग हो जायेंगे।

लेकिन इस समस्या का एक उपाय और है की आप Unifying Receiver वाला कीबोर्ड या माउस खरीदें जिसमें आप एक साथ 6 कीबोर्ड या माउस जोड़ सकते हैं। लेकिन इसके लिए भी ये शर्त होती है की सारे कीबोर्ड या माउस एक हीं कंपनी द्वारा बनाये हुए होने चाहिए। Logitech कंपनी ऐसे Unifying Receiver वाले कीबोर्ड बनाती है जो Logitech द्वारा बनाये गए 6 माउस या कीबोर्ड अपने साथ जोड़ सकती है।

Logitech द्वारा बनाये गए कीबोर्ड के RF रिसीवर पर आपको यदि नीचे दिखाया हुआ लोगो दीखता है तो उसका मतलब है की आपका रिसीवर इस फीचर को सपोर्ट करता है। और भविष्य में आप कोई कीबोर्ड या माउस खरीदते हैं और उसमें Unifying Receiver सपोर्ट है तो आपको यह लोगो उस कीबोर्ड या माउस पर देखने मिलेगा और आप उसे इस रिसीवर के साथ इस्तेमाल कर पाएंगे।

Logitech Unifying receiver allows you to connect a maximum of 6 wireless keyboard and mice to a single computer.
इस RF रिसीवर में आपको नीचे Unifying Receiver का लोगो दिख रहा है। यदि ये लोगो किसी वायरलेस कीबोर्ड या माउस पर बना है तो उसे इसके साथ जोड़ा जा सकता है।
Image Credit: Logitech

Corsair कंपनी द्वारा बनाये गए कीबोर्ड में भी आपको ऐसी ही सुविधा मिलती है जिसे Splitstream कहा जाता है और उसमें भी आप छह डिवाइसेज़ को एक साथ एक RF रिसीवर से जोड़ सकते हैं।

वायरलेस कीबोर्ड के बटन यानि कीज़ कैसे होने चाहिए

एक कीबोर्ड के कीज़ अलग अलग प्रकार के बने होते हैं। पुराने कीबोर्ड में मैकेनिकल कीज़ का प्रयोग किया जाता था जिनकी हाइट ज्यादा होती थी और वो ऊपर की ओर ज्यादा निकले होते थे। उनको दबाने पर हलकी सी क्लिक की आवाज़ भी आती थी।

Mechanical keys on a keyboard provide better tactile feedback but are costly.
मैकेनिकल कीबोर्ड में लगने वाले बटन को बनाने का खर्च आम कीबोर्ड में लगने वाले मेटीरियल की तुलना में कहीं अधिक होता है। इसी लिए इनके दाम भी ज्यादा होते हैं, और ऐसे मैकेनिकल स्विच वाले बटन ख़ास करके गेमिंग कीबोर्ड में हीं लगे होते हैं। वायरलेस कीबोर्ड में ऐसे स्विच आपको बहुत कम देखने मिलेंगे।
Photo Credit: Corsair

मैकेनिकल कीबोर्ड में स्प्रिंग या मेटल से बने बटन लगे होते हैं और इनको बनाने का खर्च ज्यादा होता है और ऐसे बटन आजकल ज्यादातर गेमिंग के लिए बनाये जाने वाले कीबोर्ड में इस्तेमाल किये जाते हैं। यदि आप ऐसे बटन वाला एक वायरलेस कीबोर्ड ढूंढ रहें हैं तो आपको ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है और आपको ज्यादा ऑप्शन भी नहीं मिलेंगे।

अधिकतम एंट्री लेवल वायरलेस कीबोर्ड में आपको चिकलेट बटन वाले कीबोर्ड देखने को मिलेंगे। आपके लैपटॉप में जिस प्रकार के कीबोर्ड का प्रयोग किया जाता हैं उसमें लगे बटनों को चिकलेट कहा जाता है। ये चिकलेट की अपने हाइट में काफी छोटे होते हैं। और इन पर टाइप करने पर आपको टैक्टाइल फीडबैक भी कम मिलता है यानि सरल शब्दों में कहें तो इनको दबाने पर जो आवाज़ होती है वो बहुत कम होती है। इसलिए इन्हें साइलेंट कीबोर्ड भी कहा जाता है।

इन चिकलेट बटन वाले वायरलेस कीबोर्ड में भी आपको दो प्रकार के बटन देखने को मिल जायेंगे। एक होते हैं मेम्ब्रेन स्विच वाले कीबोर्ड और दूसरे सिज़र स्विच (Scissor switch) वाले बटन जिनका उपयोग लैपटॉप में किया जाता है। नीचे हम सिज़र बटन और मेम्ब्रेन वाले बटन को विस्तार से समझाते हैं।

मेम्ब्रेन स्विच बटन वाले कीबोर्ड 

इन के अंदर एक प्लास्टिक फिल्म के ऊपर प्रिंटेड स्विचों का प्रयोग किया जाता है और इन कीबोर्ड के बटन के नीचे एक सिलिकॉन के लेयर का प्रयोग किया जाता है। यदि आपने एक पुराने कीपैड वाले मोबाइल फ़ोन या कैलकुलेटर को कभी खोलकर उसके कीपैड के नीचे देखा होगा तो आपको इसी तरह के सिलिकॉन लेयर से बने बटन दिखे होंगे।

ऐसे बटन वाले वायरलेस कीबोर्ड आकार में छोटे होते हैं और इनमें नंबर कीज़ को हटा दिया जाता है ऐसे कीबोर्ड ज्यादातर स्मार्टफोन ऑपरेट करने के लिए बनाये जाते हैं और इनमे आपका स्मार्टफोन या टैबलेट कंप्यूटर रखने की जगह भी बनी होती है। लेकिन इनका इस्तेमाल आप लैपटॉप या कंप्यूटर के लिए भी कर सकते हैं। लेकिन यदि आप नंबर की पैड वाला कीबोर्ड ढूंढ रहे हैं तो आपको फुल साइज वाला कीबोर्ड लेना पड़ेगा।

Membrane switch keyboard have better tactile feedback than the scissor switch keyboards. Wireless keyboard with tablet stand.
सिलिकॉन मेम्ब्रेन वाले ज्यादातर कीबोर्ड आकार में छोटे बनाये जाते हैं और स्मार्टफोन या टैबलेट कंप्यूटर को ऑपरेट करने के लिये बने होते हैं। इनके साथ ज्यादातर आपको RF रिसीवर नहीं मिलता और इनको केवल ब्लूटूथ से जोड़ा जा सकता है। यदि इसे आप अपने डेस्कटॉप या लैपटॉप कंप्यूटर के साथ इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपको ब्लूटूथ के साथ हीं जोड़ना होगा।

लेकिन कुछ फुल साइज वायरलेस कीबोर्ड में भी इन मेम्ब्रेन स्विचों का प्रयोग किया जाता है। मेम्ब्रेन स्विच वाले कीबोर्ड के बटनों की ऊंचाई चिकलेट बटन से थोड़ी ज्यादा होती है और यदि आप अपने लैपटॉप के बटनों जैसे बटन वाला वायरलेस कीबोर्ड ढूंढ रहे हैं तो आपको सीज़र स्विच (scissor switch) चिकलेट बटन वाला कीबोर्ड लेना पड़ेगा।

चिकलेट बटन वाले कीबोर्ड

चिकलेट शब्द का प्रयोग अंग्रेजी भाषा में एक प्रकार के टॉफ़ी या बबल गम के लिए किया जाता है जो आकार में एक फुल साइज कीबोर्ड के बटन के बराबर हीं होते हैं। इन चिकलेट कीबोर्ड में ज्यादातर सिज़र स्विच वाले बटन प्रयोग किये जाते हैं जिनकी हाइट बहुत छोटी होती है और इनको दबाने पर आवाज़ लगभग न के बराबर होती है। लगभग सभी लैपटॉप कम्प्यूटर्स में आपको चिकलेट बटन वाला कीबोर्ड ही देखने मिलेगा।

Chiclet keys on a laptop and wireless make typing easy as they are silent and fast.
अधिकतम लैपटॉप कम्प्यूटर्स में आपको चिकलेट बटन देखने को मिल जायेंगे जो सीज़र स्विच का इस्तेमाल करते हैं।

इन चिकलेट कीबोर्ड में सिज़र स्विच का प्रयोग किया जाता है जो एक कैंची के कांटो की तरह स्विच को ऊपर उठाये रहते हैं। ये टाइप करने पर बिलकुल कम आवाज़ करते हैं। लेकिन यह चिकलेट बटन वाले वायरलेस कीबोर्ड आपको सिलिकॉन मेम्ब्रेन स्विच वाले कीबोर्ड से थोड़े महंगे दाम पर मिलेंगे। लेकिन यदि आप अपने लैपटॉप कीबोर्ड पे टाइप करने के आदि हो चुके हैं तो ये कीबोर्ड आपके लिए सबसे उपयुक्त हैं। इनपर टाइप करने पर आवाज़ नहीं होती और आपको अपने लैपटॉप कंप्यूटर पर टाइप करने का एहसास होता है।

वायरलेस कीबोर्ड में पाई जाने वाली कुछ कमियां

वैसे तो वायरलेस कीबोर्ड आज कल ज्यादा प्रयोग में हैं परन्तु इनकी कुछ कमियां भी हैं जो आपको ध्यान में रखनी पड़ेंगी। इनमे से प्रमुख को हमने नीचे विस्तार से समझाया है।

बैटरी का इस्तेमाल और उसपर आने वाला खर्च 

वायरलेस कीबोर्ड को काम करने के लिए AAA सेल या बैटरी की जरूरत होती है ये वही सेल है जो आप अपने टीवी के रिमोट में डालते हैं। वहीँ कुछ वायरलेस कीबोर्ड AA यानि घड़ी में लगने वाले सेल से भी काम करते हैं। जैसा की हमने पहले ही बताया की वायरलेस कीबोर्ड अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो वेव्स का इस्तेमाल करती हैं जिसे उत्पन्न करने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है। वायर्ड कीबोर्ड अपनी ऊर्जा USB पोर्ट से लेते हैं परन्तु वायरलेस कीबोर्ड को अपनी ऊर्जा उसमें लगे बैटरी से लेनी होती है।

Battery used on a wireless keyboard or mouse.

एक वायरलेस कीबोर्ड में लगे दो छोटे AAA सेल लगभग 6 महीने तक आराम से चल सकते हैं। वहीँ कुछ कीबोर्ड में स्लीप मोड फैसिलिटी होती है जिनमें लगे सेल साल भर तक भी चल सकते हैं। वहीँ बैटरी की खपत आपके उपयोग पर भी निर्भर करती है। यदि आप टाइपिंग का काम ज्यादा करते हैं तो आपको बैटरी जल्दी भी बदलनी पड़ सकती है।

कीबोर्ड के साथ यदि आप माउस का इस्तेमाल करते हैं तो आपको बता दें की एक वायरलेस माउस कीबोर्ड से ज्यादा बैटरी की खपत करता है। क्योंकि वायरलेस माउस रेडियो वेव्स के साथ साथ इंफ़्रा रेड सेंसर का भी इस्तेमाल करता है जिसमे ऊर्जा की खपत ज्यादा होती है। ज्यादा इस्तेमाल करने पर एक वायरलेस माउस के बैटरी को आपको 3 से 4 महीने के अंदर भी बदलना पड़ सकता है।

बैक लाइट की सुविधा नहीं होती

एक कीबोर्ड में बैक लाइट का मतलब होता है ऐसा कीबोर्ड जिसके बटन अँधेरे में स्वयं रौशन हो जाते हैं। ऐसे कीबोर्ड पर आपको अँधेरे में काम करने के लिए किसी और रौशनी के सोर्स पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। वायर्ड कीबोर्ड अपने बैक लाइट को जलाने के लिये आपके कंप्यूटर के USB पोर्ट से बिजली लेते हैं परन्तु वायरलेस कीबोर्ड बैटरी का प्रयोग करता है। यदि इसमें बैक लाइट की सुविधा दी गयी तो ये अपनी बैटरी को तुरंत ड्रेन यानि जल्दी ख़त्म कर देगा।

Backlight on a keyboard with mechanical keys.

लेकिन कई वायरलेस कीबोर्ड ऐसे भी हैं जिनके अंदर बैक लाइट फैसिलिटी होती है लेकिन ये अपनी ऊर्जा के लिए रिचार्जेबल लिथियम आयन बैटरी का उपयोग करते हैं। ऐसे कीबोर्ड को आपको बैटरी समाप्त होने पर चार्ज करना पड़ता है। और इनको खरीदने के लिए आपको ज्यादा खर्च भी करना पड़ता है। LOGITECH द्वारा बनाये जाने वाले ऐसे कीबोर्ड को खरीदने के लिए आपको 12,000 भारतीय रुपये तक भी खर्च करना पड़ सकता है।

आम कीबोर्ड से महंगे

वायरलेस कीबोर्ड वायर्ड कीबोर्ड से महंगे होते हैं और यदि इनपर आने वाले बैटरी के खर्च को जोड़ दिया जाए तो लॉन्ग टर्म में इनपर आपको ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है। इसके साथ साथ इसके वायरलेस मॉड्यूल में खराबी आ जाये तो पूरा कीबोर्ड काम करना बंद कर सकता है। और इनको रिपेयर करने का खर्च भी ज्यादा आता है।

गेमिंग के लिए उपयुक्त नहीं होते

गेमिंग यानि कंप्यूटर पर गेम खेलने के लिए आपको एक फ़ास्ट रिस्पांस वाले कीबोर्ड की जरूरत होती है। वायरलेस माउस और कीबोर्ड से गेमिंग करना तो संभव है लेकिन यदि आप इनकी तुलना एक वायर्ड माउस या कीबोर्ड से करें तो वो इस से बेहतर रिस्पांस टाइम देते हैं और गेमिंग के लिए बेहतर माने जाते हैं।

इसके साथ साथ यदि एक वायरलेस रिसीवर वाले माउस का रिसीवर कहीं खो जाए तो भी आप अपने माउस का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। वहीँ एक वायरलेस माउस के खोने की सम्भावना भी अधिक होती है क्योंकि ये आपके कंप्यूटर से किसी वायर द्वारा नहीं जुड़ा होता है।

प्राइवेसी रिस्क

हाल की एक रिसर्च में यह भी सामने आया है की कुछ मेजर ब्रांड के वायरलेस कीबोर्ड और माउस अपने RF रिसीवर को सिग्नल भेजने के लिए ऐसे रेडियो कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करते हैं जिसे हैकर्स इंटरसेप्ट करके कीबोर्ड पर टाइप की जाने वाली जानकारी और बटन स्ट्रोक्स को देख सकते हैं।

लेकिन ऐसा तभी संभव होगा जब ऐसा करने वाला व्यक्ति आपके काफी समीप यानि 10 मीटर के दायरे के अंदर बैठा हो। और ऐसा सभी वायरलेस कीबोर्ड में नहीं पाया गया है। ज्यादातर कीबोर्ड निर्माता प्रोप्प्राइटरी एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल का प्रयोग करते हैं जिसमें जानकारी को इंटरसेप्ट करने पर भी उसे पढ़ पाना लगभग नामुमकिन होगा।

तो आप पहली बार वायरलेस कीबोर्ड खरीदने जा रहे हैं या फिर नया कीबोर्ड ले रहे हैं तो जरा इन सब बातों पर ध्यान जरूर दें।